अपने बच्चे को आत्मानिर्भर बनना सिखाना क्यों है ज़रूरी?

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Highlights घर के छोटे-छोटे काम की जिम्मेदारी देकर आप शुरुआत कर सकते हैं। जैसे कि अपना बेड ठीक करना, अपने कपड़े सही जगह पर रखना, अपना कमरा साफ करना आदि! इससे बच्चों को अपना काम स्वयं करने की आदत लगेगी।

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कई बार ऐसा होता है कि आप किसी ऐसे इंसान से मिलते हैं जिनके तौर-तरीके या व्यवहार आपको पसंद नहीं आते। ऐसे में कई बार हमारे मुंह से ये निकल जाता है कि ‘परवरिश अच्छे से नहीं हुई है’! ऐसी बात आपके बच्चों से कोई कहे ये आप बिल्कुल नहीं चाहेंगे। 

हमारे देश में कल्चर ही कुछ ऐसा है कि बच्चे एक लंबी उम्र तक अपने माँ-बाप पर निर्भर होते हैं। विकसित देश की बात करें तो बच्चे 14 साल की उम्र के बाद से ही अपने माता-पिता से अलग रहने लगते हैं, कमाने लगते हैं और अपनी जिम्मेदारी खुद उठाते हैं। 

जरूरी नहीं है कि हम भी ऐसा ही करें। हमें हमारा कल्चर प्यारा है, लेकिन इसका एक नुकसान भी है, वो ये है कि पेरेंट्स पर आश्रित रहने के कारण कई बार बच्चे आत्मनिर्भर नहीं बन पाते। जबकि, छोटी उम्र से ही बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना बेहद जरूरी है ताकि कल को उन्हें जिंदगी जीने में परेशानी न आए या फिर हर छोटी चीज के लिए वो किसी पर आश्रित न हों!

बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना इन कारणों से है जरूरी

हर अच्छी आदत सीखने और सिखाने के पीछे कोई-न-कोई कारण जरूर होता है। बच्चों के आत्मनिर्भरता के पीछे भी कई कारण हैं। आइए इनमें से कुछ कारणों को देखें!

बच्चा रह न जाए पीछे

अगर एक बच्चा आत्मनिर्भर नहीं है तो वो कभी भी अपना काम स्वयं करने में यकीन नहीं रखेगा। इससे बच्चे की क्रिऐटिवटी कम होने लगेगी। वो हर परेशानी का हल दूसरे की मदद में देखने लगेगा और इस तरह बच्चा पीछे रह सकता है।

हर छोटी चीज के लिए बच्चा आश्रित न रहने लगे

बच्चे को आदत है कि उसके छोटे-बड़े काम कोई और कर रहा है। ऐसे में एक लंबे समय तक बच्चा अपनी जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर रहने लगेगा। और जिंदगी में ऐसा वक्त आएगा जब थोड़े दिन के लिए भी उसे खुद के काम खुद करने हो तब वो असहाय महसूस करने लगेगा।

कड़ी मेहनत के महत्व को समझें

जब तक आप कोई काम खुद से नहीं करते तब तक आप ये नहीं समझ सकते कि उस काम को करने में कितनी मेहनत लगती है! तो फिर बच्चे तो बच्चे हैं। आत्मनिर्भर न होने पर वे कभी किसी के काम की मेहनत को नहीं समझेंगे। उनके लिए सबकुछ बेहद आसान ही होगा।

लोगों की इज्जत करना भूल जाए

जब बच्चे को किसी के काम की मेहनत का ही अंदाजा नहीं होगा तब वो उस काम को करने वाले इंसान की इज्जत कैसे करेगा। ऐसा होने पर बच्चे बत्तमीज़ हो सकते हैं और अपने आस-पास रहने वाले लोगों की भी इज्जत करना भूल सकते हैं।

सपने देखने का तरीका सही हो

अगर एक भिखारी भीख मांग रहा हो तो बच्चे को ये नहीं सोचना है कि मैं तो ये काम कभी नहीं करुंगा/करूंगी बल्कि ये सोचना है कि मैं जब सफल हो जाऊंगा/जाऊँगी तो ऐसे लोगों की मदद करूंगा/करूंगी। यह सब आत्मनिर्भरता पर निर्भर करता है। बच्चे जितना आत्मनिर्भर बनेंगे उतना ही लोगों की इज्जत करेंगे, मेहनत के महत्व को समझेंगे और सही दिशा में सपने देखेंगे।

बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के तरीके 

नीचे दिए गए तरीके आपको अपने बच्चे को आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर सकते हैं।

दें छोटे-छोटे काम की जिम्मेदारी

घर के छोटे-छोटे काम की जिम्मेदारी देकर आप शुरुआत कर सकते हैं। जैसे कि अपना बेड ठीक करना, अपने कपड़े सही जगह पर रखना, अपना कमरा साफ करना आदि! इससे बच्चों को अपना काम स्वयं करने की आदत लगेगी।

काम अच्छे से करने पर दें कुछ इनाम

जब बच्चा आपके दिए हुए किसी काम को अच्छे ढंग से करता है तो उसे शाबाशी देना न भूलें। कुछ बेहद अच्छा करने पर बच्चे को कोई इनाम दें। ऐसे में बच्चा और काम करने को इच्छुक होगा और उसे बेहद अच्छे ढंग से करने की कोशिश करेगा।

दिखाएं या सुनाएं प्रेरणादायक कहानियाँ

बच्चों को हमेशा उन लोगों की कहानियाँ सुनाएं जिन्होंने जिंदगी में बेहद मेहनत की और वो सफल हुए। ऐसे में बच्चे भी उन लोगों की तरह मेहनत करना चाहेंगे।

सिखाएं की काम छोटा-बड़ा नहीं होता

कभी भी बच्चे को ये न कहें कि कोई काम लड़का का है या लड़की का, या कोई काम छोटा है या बड़ा। घर में अगर कोई हेल्पर है तो बच्चे को समझाएं कि लोग अपना काम अच्छे से करें ये जरूरी है, कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, हमें हर किसी की इज्जत करनी चाहिए।

पैसे की कीमत समझाएं

बच्चे को पॉकेट मनी दें और उसे सिखाएं वो कैसे अपना बजट तैयार कर सकता है, सेविंग करके कैसे वो अपनी मन-पसंद की चीजें खरीद सकता है। कभी भी बच्चों को काफी पैसे न दें, ऐसे में वो पैसों की इज्जत कभी नहीं करेंगे। यहाँ तक कि वो ये भी नहीं समझेंगे कि पैसे कमाने में कितनी मेहनत लगती है।

गलतियों को मानना और माफी मांगना सिखाएं

गलती होने पर उसे स्वीकार करने की आदत और उसके लिए माफी मांगने की आदत बच्चों में जरूर डालने की कोशिश करें। वरना आगे चलकर बच्चा बार-बार वही गलती करेगा और कभी उसके लिए दोषी महसूस नहीं करेगा।

बातों को शेयर करना सिखाएं 

बच्चों के दोस्त बनकर रहें। उनसे अपनी सीक्रेट बातें बताएं ताकि वो भी खुलकर अपने मन की बातें आपसे कह सकें। ऐसे में बच्चे हमेशा आपके सामने अपनी परेशानी रखेंगे।

अपनी जिंदगी के मेहनत के बारे में बताएं

आपने जिंदगी में क्या-क्या किया, कब सही किया, कब गलत, कितनी मेहनत की, ये सब बच्चों के साथ सरल तरीके से शेयर करें। ऐसे में बच्चे आपके अपने पेरेंट्स के रूप में देखकर गर्व महसूस करेंगे और आपकी तरह बनने की कोशिश करेंगे।

धैर्य रखना सिखाएं

धैर्य रखना बच्चों को जरूर सिखाएं। उन्हें समझाएं कि किसी चीज में वक्त लगता है, किसी काम को टाइम देना पड़ता है। ऐसे में बच्चे हर बात को लेकर उतावले नहीं रहेंगे।

फैसले लेने की आजादी दें 

छोटे-मोटे फैसले बच्चों को खुद लेने दें। उन्हें सिखाएं कि सही फैसले किस तरह लिए जाते हैं। अगर को वो गलत फैसले लेते हैं तो भी कुछ समय के लिए उन्हें आगे बढ़ने दें। इससे वो सीखेंगे की आगे के फैसले लेते वक्त क्या ध्यान में रखना है और गलत फैसले लेने का नतीजा क्या हो सकता है।


सारांश

पेरेंटिंग अपने आप में एक बड़ी जिम्मेदारी है। लेकिन, ऊपर बताए गए तरीके से आप अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बना सकते हैं ताकि आगे चलकर वो जिंदगी में सही दिशा पर सही सोच के साथ चल पाएं!

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