महिलाओं में गठिया (आर्थराइटिस) की समस्या, जानिए कारण, लक्षण और उपाय

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आर्थराइटिस जोड़ों की सूजन और दर्द से जुड़ा एक रोग है। इस रोग में घुटनों, एड़ियों, पीठ, कलाई और गर्दन के जोड़ों में दर्द और सूजन की शिकायत रहती है। ये बीमारी वैसे तो ज्यादातर बुजुर्गों में होती है लेकिन खराब लाइफस्टाइल के चलते अब कम उम्र के लोग भी इसकी चपेट में आ रहे है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में आर्थराइटिस की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 180 मिलियन लोग गठिया या आर्थराइटिस से पीड़ित है। इनमें पुरुषों की तुलना में महिलाओं में गठिया की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। भारत में आर्थराइटिस की इसी भयावयता को देखते हुए इस बीमारी को लेकर अधिक से अधिक जानकारी लोगों तक पहुंचाई जानी चाहिए ताकि वे इसके प्रति समय रहते सतर्क रह सके। 

महिलाओं में आर्थराइटिस की समस्या -

आर्थराइटिस या गठिया रोग पुरुषों और महिलाओं दोनों को होता है लेकिन महिलाएं इस रोग से सबसे ज्यादा पीड़ित होती है। महिलाओं में गठिया रोग की तकलीफ एस्ट्रोजन और प्रोजोस्टेरॉन हॉर्मोन में बदलाव के कारण अधिक होती है। इन हॉर्मोन्स का इम्यून सिस्टम और जोड़ों की सूजन में विशेष योगदान होता है। हालांकि जो महिलाओं स्तनपान कराती है उनको गठिया होने का खतरा कम रहता है। 

क्या है आर्थराइटिस या गठिया -

आर्थराइटिस को आम बोलचाल की भाषा में गठिया कहा जाता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या रहती है। यह बीमारी काफी तकलीफदेह होती है क्योंकि इसमें असहनीय दर्द होता है जिसकी वजह से कई व्यक्ति चलने, उठने और बैठने में असमर्थ तक हो जाता है। हालांकि समय रहते इसका इलाज कराया जाए तो इस बीमारी से निजात पाई जा सकती है।

आर्थराइटिस या गठिया के प्रकार -

आर्थराइटिस या गठिया दो प्रकार का होता है। एक ऑस्टियो आर्थराइटिस और दूसरा रूमेटाइड अर्थराइटिस।

1. ऑस्टियो अर्थराइटिस - 

ऑस्टियो आर्थराइटिस, सबसे आम आर्थराइटिस है। इसमें व्यक्ति के जोड़ों में स्थित कार्टिलेज या तो टूट जाते है या फिर घिस जाते है। जिसकी वजह से जोड़ों में दर्द और सूजन रहती है। यह आर्थराइटिस शरीर के छोटे-छोटे जोड़ों को भी प्रभावित कर सकता है। लेकिन आमतौर पर यह घुटनों, कूल्हों और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। इसमें कार्टिलेज क्षतिग्रस्त हो जाते है। कार्टिलेज मजबूत और लचीले ऊतक होते है जो जोड़ों में पाए जाते है और दो हड्डियों को आपस में जोड़ते है। 

ऑस्टियो आर्थराइटिस के लक्षण -

1. जोड़ों में दर्द रहना और दबाने पर ज्यादा दर्द महसूस होना।
2. जोड़ों या प्रभावित अंगों में अकड़ और सूजन बनी रहना।

2.रूमेटाइड आर्थराइटिस -

रूमेटाइड आर्थराइटिस से सामान्यतौर पर वे लोग पीड़ित होते है जिनकी उम्र 40 से 50 वर्ष के बीच होती है। रूमेटाइड आर्थराइटिस में व्यक्ति के घुटनों, एड़ियों, पीठ, कलाई या गर्दन के जोड़ों में दर्द रहता है। रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या ज्यादातर बुजुर्गों में देखी जाती है। लेकिन आजकल युवा भी बड़ी संख्या में इसकी चपेट में आ रहे है। यदि समय रहते रूमेटाइड आर्थराइटिस का इलाज नही कराया जाए तो यह जोड़ों और हड्डियों के अलावा आंखों, त्वचा, फेफड़ों जैसे अंगों को भी नुकसान पहुंचाता है। डॉक्टर्स का कहना है कि रूमेटाइड आर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून डिजीज है जिसमें शरीर की इम्यूनिटी स्वस्थ कोशिकाओं को ही नुकसान पहुंचाने लगती है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में रूमेटाइड आर्थराइटिस का ज्यादा खतरा देखा गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार रूमेटाइड के मामलों में लगभग 75 प्रतिशत मरीज 35-50 वर्ष की महिलाएं होती है।

रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षण -

1. रूमेटाइड आर्थराइटिस होने पर सुबह-सुबह शरीर के किसी अंग में लंबे समय तक अकड़न महसूस होती है जो 1-2 घंटे तक रहती है। हालांकि शरीर के मूवमेंट के अनुसार यह ठीक भी हो जाती है।

2. रूमेटाइड आर्थराइटिस के अन्य लक्षणों में कमजोरी, हल्का बुखार, भूख न लगना, मुंह और आंखों का सूखना, शरीर में गांठ बनना जैसे लक्षण देखने को मिलते है। 


आर्थराइटिस या गठिया के लक्षण -

1. आर्थराइटिस होने के शुरुआती लक्षण में मरीज को बार-बार बुखार आता है।
2. मांसपेशियों में दर्द और हमेशा थकान और टूटन महसूस होना।
3. धीरे-धीरे भूख कम होना और वजन घटने लगता है।
4. मरीज के शरीर के सभी जोड़ों में असहनीय दर्द होना और हिलाने डुलाने पर और तेज दर्द महसूस करना। 
5. सुबह के समय जोड़ों में ज्यादा दर्द महसूस करना।
6. शरीर में थकान और ऊर्जा की कमी महसूस करना।
7. पसीना आना।
8. भूख कम लगना।
9. वजन कम होना। 
10. इसके अलावा यदि आर्थराइटिस आंखों को प्रभावित कर रहा है तो इसमें आंखें सूखने लगती है। जबकि दिल और फेफड़े प्रभावित हो रहे है तो सीने में दर्द की शिकायत रहती है।

आर्थराइटिस का कारण -

आर्थराइटिस या गठिया एक स्वप्रतिरक्षित अवस्था है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ ऊतकों पर हमला करने लगती है। हालांकि यह अभी तक ज्ञात नही हो सका है कि शरीर में ऐसा किस कारण होता है। सामान्यतौर पर हमारा प्रतिरक्षा तंत्र बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने और संक्रमण को रोकने में मदद करता है। लेकिन गठिया या आर्थराइटिस में प्रतिरक्षा तंत्र अनजाने में प्रतिरक्षी को आपके जोड़ों की परत पर भेजता है जो जोड़ के आसपास वाली कोशिकाओं पर हमला करते है। इस कारण जोड़ों को ढकने वाली कोशिकाओं की परत (सिनोवियम) में जलन और सूजन होने लगती है।

आर्थराइटिस के जोखिम वाले कारक -

1. जीन्स - कुछ डेटा के आधार पर कहा जा सकता है कि आर्थराइटिस जेनेटिक हो सकता है। हालांकि आर्थराइटिस में जीन्स छोटी भूमिका निभाते है।

2. हार्मोन - गठिया रोग पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक पाया जाता है। जो कि हार्मोन एस्ट्रोजन के कारण हो सकता है।

3. धुम्रपान - कुछ स्टडी में बताया गया है कि जो लोग धुम्रपान करते है उनमें गठिया होने का ज्यादा जोखिम रहता है। 

4. उम्र - उम्र बढ़ने के साथ-साथ आर्थराइटिस होने की संभावना बढ़ जाती है। आर्थराइटिस का खतरा सबसे ज्यादा 60 साल की उम्र के बाद रहता है।

5. मोटापा - वजन ज्यादा होने पर भी आर्थराइटिस का जोखिम बढ़ जाता है।

आर्थराइटिस या गठिया का इलाज -

सामान्यतौर पर शुरुआत में आर्थराइटिस का इलाज दवाईयों से किया जाता है। इसके अलावा फिजियोथेरेपी करने की सलाह भी दी जाती है। यदि इन सभी से इलाज में मदद नही मिलती है तो डॉक्टर क्षतिग्रस्त जोड़ों की मरम्मत करने के लिए सर्जरी की सलाह देते है। 

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