भारत में महिलाओं के अधिकारों के बारे में सब कुछ

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जरूरी है महिलाओं के लिए अपने अधिकार की जानकारी

समाज के कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए सबसे जरूरी है अपने अधिकारों के बारे में पूर्ण जानकारी होना। अगर आपको आपके अधिकारों के बारे में पता होगा तो आप किसी भी परेशानी से बाहर निकलने का उपाय तलाश सकते हैं।

कई बार कुछ गलत होने पर भी महिलाएं आगे नहीं आ पाती इसका कारण है उन्हें उनके अधिकारों के बारे में पूरी तरह जानकारी नहीं होती है। इस आर्टिकल में हम उन सभी जरूरी अधिकारों के बारे में बताएंगे जिससे भारत में किसी भी महिला को वंचित नहीं रहना चाहिए।

भारतीय कानून के अनुसार महिलाओं के लिए अधिकार : 

समान वेतन का अधिकार : लिंग के आधार पर वेतन में फर्क रखना गैर कानूनी है। अगर एक महिला और एक पुरुष एक ही पोजीशन पर काम कर रहें हैं तो दोनों की सैलेरी भी बराबर होनी चाहिए। अगर लिंग के आधार पर तनख्वाह में फर्क किया जा रहा है तो एक महिला इसकी शिकायत पुलिस में दर्ज कर सकती है।

प्रेग्नेंसी लीव का अधिकार : भारत में हर महिला को ये अधिकार है कि वो अपने जॉब को बिना छोड़ें 12 से 26 सप्ताह की छुट्टी प्रेग्नेंसी के दौरान ले सकती है। इस छुट्टी के दौरान उनकी सैलरी में कोई कटौती नहीं होगी। प्रेग्नेंसी के साथ महिला चाहे तो घर से काम करने की भी मांग कर सकती है।

सीमित समय में गिरफ्तार न होने का अधिकार : कानून के अनुसार किसी भी महिला को सूरज ढलने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। महिला की गिरफ़्तारी के वक्त एक महिला अधिकारी का साथ होना अनिवार्य है। 

अगर महिला आरोपी है तो उनकी किसी भी तरह की जांच महिला अधिकारी के द्वारा या महिला अधिकारी की उपस्थिति में होनी चाहिए!

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत करने का अधिकार : किसी भी ऑफिस में या कार्यस्थल पर अगर महिला के साथ यौन उत्पीड़न होती है तो वो इसकी शिकायत पुलिस में कर सकती है। यह उत्पीड़न मौखिक भी हो सकता है।

घरेलू हिंसा से सुरक्षा का अधिकार : घर में अपने ऊपर किसी के द्वारा हाथ उठाए जाने पर या मानसिक तौर पर परेशान किए जाने पर, महिला इसकी शिकायत पुलिस में कर सकती है।

पिता की संपत्ति पर अधिकार : शादी से पहले और शादी के बाद पिता की संपत्ति पर बेटियों का हक बराबर का होता है। पहले कानून अलग था, इसमें बाद में संसोधन किया गया।

21 साल पर विवाह का अधिकार : हाल के संसोधन के बाद किसी भी लड़की की शादी 21 साल की उम्र से पहले करना कानूनन अपराध है। पहले के कानून में 18 वर्ष के बाद ही लड़कियों की शादी की जा सकती थी।

दहेज प्रतिबंधित अधिकार : दहेज की मांग की जाने पर या दहेज के लिए प्रताड़ित किए जाने पर महिला इसकी शिकायत पुलिस में कर सकती है। ऐसे में दहेज लेने और देने वालों पर कारवाई की जाएगी।

बलात्कार की सूचना का अधिकार : महिलाओं की ये अधिकार है कि वे बलात्कार की शिकायत किसी भी समय पर कर सकती हैं और पुलिस को शिकायत दर्ज करनी ही होगी। साथ ही पीड़ित महिला मुफ़्त कानूनी मदद की मांग सकती है। SHO की जिम्मेदारी होती है कि महिला को कानूनी मदद मुहैया कराई जाए।

नाम न छापने का अधिकार : बलात्कार से पीड़ित महिला को यह पूरा अधिकार है कि वो अपने नाम को पूरी तरह गुमनाम रखें। पीड़ित महिला अकेले में किसी महिला पुलिस अधिकारी या जिला अधिकारी के सामने पर अपना नाम गुमनाम रखते हुए अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है।

जीरो एकआईआर का अधिकार : अगर किसी कारण-वश महिला पुलिश स्टेशन नहीं जा पाती तो ईमेल या डाक के माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है। यहां तक कि बलात्कार पीड़ित महिला किसी भी पुलिस स्टेशन में शिकायत कर सकती है। कोई भी पुलिस स्टेशन यह कहकर शिकायत दर्ज करने से इंकार नहीं कर सकता कि घटना उस पुलिस स्टेशन के दायरे में नहीं आती है।

सारांश 

हर महिला को अपने लिए बनाए गए अधिकार के बारे में जानकारी जरूर होनी चाहिए ताकि वक्त आने पर ये जानकारी उनके काम आ सके। कई शिकायत पुलिस स्टेशन तक इसलिए पहुँच नहीं पाती क्योंकि महिलाओं को अपने अधिकार के बारे में पता ही नहीं होता। ऊपर दिए खास अधिकार महिलाओं को पुलिस तक जाने में मदद कर सकते हैं। ये जानकारी अपने तक सीमित न रखें बल्कि खुद से जुड़ी हर महिला के साथ शेयर जरूर करें।

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