हर महिला को पता होना चाहिए स्तन कैंसर से जुड़ी ये बातें

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स्तन कैंसर को समझने से पहले हमें कैंसर के बारे में जानना जरुरी है। सामान्यतौर पर कैंसर किसी कोशिका के असामान्य तरीके से बढ़ने की बीमारी है। जिसमें कोशिका के विकास को नियंत्रित करने वाले संकेत ठीक से काम नही करते है और कैंसर की कोशिकाएं बढ़ती रहती है। ये बढ़ती हुई कोशिकाएं एक ट्यूमर का रूप ले लेती है, जो किसी गांठ की तरह नजर आती है। इसी तरह स्तनों की कोशिकाओं में होने वाले कैंसर को ब्रैस्ट कैंसर या स्तन कैंसर कहते है। स्तन कैंसर कई प्रकार के होते है और ज्यादातर स्तन कैंसर में किसी तरह के शुरुआती लक्षण नही दिखाई देते है। हालांकि फिर भी स्तन कैंसर को ब्रेस्ट में दर्द, गांठ, ब्रेस्ट का आकार बढ़ना जैसे लक्षणों से पहचाना जा सकता है।

भारत में स्तन कैंसर -

WHO के अनुसार हर साल दुनियाभर में 2.1 मिलियन महिलाएं स्तन कैंसर से प्रभावित होती है। वहीं भारत के ज्यादातर शहरों में स्तन कैंसर सबसे आम प्रकार का कैंसर है जबकि ग्रामीण इलाकों में होने वाला यह दूसरा सबसे आम प्रकार का कैंसर है। हर चार मिनट में एक भारतीय महिला को स्तन कैंसर होने का पता चलता है। 2018 के आंकड़ों के अनुसार देश में 1,62,468 स्तन कैंसर के मामले दर्ज हुए थे। वहीं 2018 में स्तन कैंसर से 87,090 महिलाओं की मौत हुई थी। 

स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षण -

स्तन कैंसर या ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण कम ही देखने को मिलते है। लेकिन जैसे-जैसे कैंसर बढ़ता जाता है वैसे-वैसे निम्न प्रकार के लक्षण दिखाई देते है।

1. ब्रेस्ट के स्किन टेक्सचर में परिवर्तन दिखाई देना -

ब्रेस्ट कैंसर होने पर ब्रेस्ट की स्किन टेक्सचर या स्तनों की त्वता में बदलाव देखने को मिलता है। यह बदलाव कैंसर कोशिकाओं के विकास के कारण होता है। इससे त्वचा के रंग में भी बदलाव होने लगता है। इसके अलावा ब्रेस्ट की स्किन निप्पल और एरिओला के आसपास पपड़ीदार दिखने लग सकती है। इसके साथ ही स्तन में एक्जिमा और डर्मेटाइटिस होना भी एक दुर्लभ प्रकार के स्तन कैंसर का कारण हो सकता है।

2. निप्पल से डिस्चार्ज होना -

निप्पल से किसी भी तरह का डिस्चार्ज होना ब्रेस्ट कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकता है। ब्रेस्ट कैंसर के मामले में निप्पल से पीले, हरे या लाल रंग का लिक्विड डिस्चार्ज होता है। यदि कोई महिला स्तनपान नही करा रही है फिर भी यदि उनके निप्पल से किसी प्रकार का डिस्चार्ज हो रहा है तो यह ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है। हालांकि ब्रेस्ट कैंसर के अलावा जन्म नियंत्रण की गोलियां, थायराइड बीमारी आदि में भी निप्पल से डिस्चार्ज होता है।

3. ब्रेस्ट और निप्पल में दर्द महसूस होना -

सामान्यतौर पर ब्रेस्ट कैंसर दर्द रहित होता है लेकिन कई बार पीड़िता को स्तन और निप्पल में दर्द का अनुभव भी हो सकता है। यह दर्द कैंसर के कारण बनावट में हो रहे बदलाव के कारण हो सकता है। यदि किसी महिला को ब्रेस्ट और निप्पल में दर्द या बदलाव महसूस हो रहा है तो उसे तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना जरुरी है।

4. ब्रेस्ट में लालिमा और सूजन -

यदि ब्रेस्ट की स्किन चोटिल या सूजी हुई दिखाई दे रही है तो यह ब्रेस्ट कैंसर का कारण हो सकता है। ब्रेस्ट कैंसर होने पर ब्रेस्ट की स्किन लाल, बैंगनी, नीली दिखाई दे सकती है। 

5. निप्पल का पीछे हटना या उलटा होना -

ब्रेस्ट कैंसर होने पर निप्पल की कोशिकाओं में परिवर्तन होता है जिससे वे अंदर की ओर उलटे हो सकते है। निप्पल में परिवर्तन अक्सर ओव्यूलेशन या मासिक धर्म के बीच भी दिखाई दे सकता है। 

ब्रेस्ट कैंसर के स्टेज

ब्रेस्ट कैंसर की 5 स्टेज होती है -

1. शून्य स्टेज - इस स्टेज में दूध बनाने वाली कोशिकाओं में बना कैंसर सीमित रहता है और शरीर के दूसरे हिस्सों तक नही जाता है।

2. पहली स्टेज - इस स्टैज में कैंसर कोशिकाएं धीरे-धीरे बढ़ते हुए शरीर की हेल्दी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाना शुरु कर देती है। 

3. दूसरी स्टेज - इस स्टेज में कैंसर का आकार बहुत तेजी से बढ़ना शुरु हो जाता है। इस स्टेज में कैंसर शरीर के दूसरे अंगों तक फैल जाता है और शरीर पर पकड़ बना लेता है।

4. तीसरी स्टेज - इस स्टेज तक कैंसर हड्डियों में पहुंचकर उन्हें प्रभावित करने लगता है। 

5. चौथी स्टेज - इस स्टेज में कैंसर लाइलाज हो जाता है। चौथी स्टेज तक आते-आते ब्रेस्ट कैंसर लिवर, फेफड़ों, हड्डियों और मस्तिष्क तक पहुंच चुका होता है।

ब्रेस्ट कैंसर का इलाज -

ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करने के लिए भी दूसरे कैंसर के इलाज करने जैसे कई साधन उपलब्ध है। सामान्यतौर पर ब्रेस्ट कैंसर का इलाज कीमोथेरेपी, रेडिएशन, सर्जरी आदि से किया जाता है। कैंसर की स्टेज के आधार पर इलाज शुरु किया जाता है। 

स्तन कैंसर से बचने के उपाय -

स्तन कैंसर से बचने के लिए निम्न सावधानियां रखना जरुरी है

1. नमक का अत्यधिक सेवन करने से बचना चाहिए।

2. रेड मीट का अत्यधिक सेवन करने से बचना चाहिए।

3. सूर्य की तेज किरणों के सीधे प्रभाव से बचना चाहिए।

4. धूम्रपान और नशीले पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।

5. गर्भनिरोधक गोलियों के लगातार सेवन से बचना चाहिए।

6. कसरत और योग को नियमित रूप से करते रहना चाहिए।

स्तन कैंसर के खतरे को कम करने के उपाय -

1. नियमित रूप से काली चाय का सेवन करें।

2. ग्रीन टी का सेवन करें।

3. अत्यधिक गर्म चाय पीने से बचें।

4. विटामिन डी का सेवन करें। दूध और दही में विटामिन डी पाया जाता है।

5. विटामिन सी का सेवन करें। खट्टे फलों में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

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