“काश”
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"मैं चाहता हूं" को "मैं करूंगा" में बनाओ
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अगर हम केवल “काश” शब्द का उपयोग चीजों को अलग तरह से बदलने की हमारी उत्कट इच्छा को दर्शाने के लिए करते हैं. हालाँकि, यह वह नहीं है जो मैं चाहता हूँ. इसका उपयोग भूत, वर्तमान और भविष्य में असंभव घटनाओं पर चर्चा करने के लिए किया जाता है.
“काश” शब्द का ऐसे तो कोई खाश महत्व नहीं है , फिर भी ये बहुत कुछ कह जाता है.
इस "इच्छा" में कई अधूरी आशाएँ और इच्छाएँ हैं.
मेने कई लोगो को केहते सुना है की , “काश” मेने ये किया होता , “काश” मेने उसे रोक लिया होता , “काश” मेने सब कुछ बोल दिया होता , “काश” आज में उसके साथ होती.
“काश” की अवधारणा लोगों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
एक विधार्थी जिसका आज परिणाम आया है , जो अपनी परीक्षा में फेल हुआ है , तब वो सोचता है की “काश” उसने ज्यादा मेहनत की होती तो आज वो पास हो जाता, पर अब वो समय बीत गया है जिसका उसको अफसोश है.
जब आप अपने चाहनेवाले के साथ नहीं रेह्ते और वो ही इंसान अचानक आपके सामने आ जाता है तब ख्याल आता है की “काश” थोड़ी हिमंत कर ली होती तो आज वो साथ में होते.
विदेश में रेहता एक इंसान उसके माँ -बाप को मिलने नहीं आ पाता कई सालो तक, जब उसको खबर मिलती है की, उसके माँ-बाप अब नहीं रहे यह जानने के बाद कि उनका निधन हो गया है, वह अपने माता-पिता के साथ रहने के लिए कुछ समय नहीं निकालने के लिए खुद को फटकार लगाता है. लेकिन अभी, वह जो कुछ भी महसूस करता है वह दुःख है.
जब एक स्त्री किसी दूसरी स्त्री को आगे बढ़ते हुए देखती है तो वह अक्सर सोचती है, "काश," कि उसने भी आगे बढ़ने के लिए थोड़ा संघर्ष किया होता क्योंकि तब आज पढ़कर वह भी कुछ बन गई होती और अच्छी स्थिति प्राप्त कर ली होती.
एक इंसान अपने सच्चे दोस्त को गुस्से में आके गलत बोल देता है और अपनी दोस्ती तोड़ देता है , पर जब उसी इंसान का गुस्सा शांत होता है तब वो अफसोश के साथ केहता है की , “काश” उस दिन उसने उसके गुस्से पे लगाम खींची होती तो आज वो उसके दोस्त के साथ होता.
एक आदमी पैसे कमाने के लिए इतना जुनूनी हो सकता है कि वह अपना सारा ध्यान अपने परिवार पर नहीं लगा पाता है। उसका परिवार उससे दूर होता जा रहा है, और वह अफसोस के साथ कहता है, "काश...," जैसे कि उसका परिवार अब भी करीब होता अगर उसने उनके लिए कुछ समय अलग रखा होता.
“काश” एक ऐसा शब्द है जो हर चीज़ अधूरी छोड़ देता है.
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