महा शिवरात्रि विशेष - 1 मार्च 2022

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Highlights यूं तो शिवरात्रि के लिए कई कथाएं याद की जाती है और कई का वर्णन पूजा की किताबों में भी है। इसमें से दो सबसे आम और प्रचलित कथाएं हैं कि शिवरात्रि के दिन ही शिव-पार्वती की शादी हुई थी यानि इसी दिन भगवान शिव ने वैराग्य जीवन त्याग कर सांसारिक जीवन शुरू किया था। इसके अलावा इसी दिन भगवान शिव शिवलिंग के रूप में धरती पर अवतरित हुए थे।

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भारत देश में महा शिवरात्रि का त्योहार

भारत देश में महा शिवरात्रि का त्योहार काफी हर्षो-उल्लास के साथ मनाया जाता है। 'महा शिवरात्रि’ इस नाम में ही छिपा हुआ है कि शिव भगवान की सबसे महान रात्रि यानि रात। इस दिन को भक्तगण काफी निष्ठा से व्रत रखते हैं और देवों के देव भगवान शिव की पूजा करते हैं। 

महाशिवरात्रि का महत्व

महाशिवरात्रि के दिन देश के सभी शिव मंदिरों में भक्त अपने भगवान भोले को प्रसन्न करने के लिए पूजा अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव लिंग के रूप में प्रकट हुए ​थे। इस दिन भक्त जन शिव की महान रात को पूरे श्रद्धा भाव से मनाते हैं।

2022 में महा शिवरात्रि कब है? 

यूं तो हर महीने एक शिवरात्रि होती है और कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। महादेव शिव की भक्ति के लिए आप किसी भी दिन पूजा-अर्चना कर सकते हैं, लेकिन सोमवार के दिन को सबसे शुभ माना जाता है।

बसंत ऋतु के सुंदर मौसम में फाल्गुन महीने के दौरान शिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। साल 2022 में महा शिवरात्रि 1 मार्च (मंगलवार) को मनाई जाने वाली है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार महा शिवरात्रि की तिथि हर साल बदलती रहती है। 

महा शिवरात्रि का निशित काल


शिवरात्रि के दिन महादेव की पूजा के लिए निशित काल को सबसे शुभ समय माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव जब धरती पर शिवलिंग के रूप में अवतरित हुए थे तब वो निशित काल ही था। शिव जी के मंदिरों में लिंगोद्भव पूजा का अनुष्ठान भी इसी काल में किया जाता है। इसी दिन पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसीलिए रात्रि के चारों पहर जागकर पूजा करने की विधि है।

महा शिवरात्रि की पूजा किस प्रकार की जाती है?

भारत देश में शिवरात्रि का भक्तजन पूरे वर्ष इंतजार करते हैं। कई जगह पर रात-भर शिव की पूजा की जाती है तो कुछ जगहों पर जागरण भी किया जाता है। कई लोग इस दिन गंगा स्नान करने के लिए भी जाते हैं। पूरे देश में शिवरात्रि की पूजा अलग-अलग तरीके से की जाती है। चुकि ऐसा माना गया है कि महा शिवरात्रि के दिन चार पहर की पूजा करने के मनोकामनाएं पूरी होती हैं तो रातभर उत्सव जैसा माहौल रहता है। 

इसके अलावा इस दिन शिव-पार्वती की फिर से शादी भी कराई जाती है। नियम का पालन करते हुए बारात निकाली जाती है। लोग नाचते-गाते हैं और फिर आखिर में पूरी विधि के साथ शादी को सम्पन्न किया जाता है।

महा शिवरात्रि पर व्रत कैसे रखें? 

महा शिवरात्रि का व्रत भक्तजन पूरे श्रद्धा-भाव से रखते हैं। आइए देखें महा शिवरात्रि के व्रत को कैसे किया जाता है।

  • प्रातः सुबह उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
  • पूजा शुरू करते हुए शिवलिंग पर पवित्र जल या दूध चढ़ाएं।
  • दूध, दही, शहद, इत्र, देशी घी का पंचामृत बनाकर महादेव को स्नान कराएं
  • शिवलिंग पर सिंदूर लगाएं।
  • अनामिका उंगली और अंगूठे से पकड़कर शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करें।
  • इसके बाद शिवलिंग पर फल चढ़ाएं। 
  • लोग अपनी इच्छा अनुसार धन भी चढ़ाते हैं।
  • अब पान के पत्ते शिवलिंग पर चढ़ाएं।
  • ज्ञान के प्रतीक के रूप में शिवलिंग के समक्ष दीपक जलाएं।
  • इसके बाद शिव चालीसा और शिव श्लोक पढ़कर भगवान शिव की आरधना करें।

इसके अलावा पूजा के दौरान अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भी शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है। शिव-पार्वती की तस्वीर लगाकर घर में भी पूजा करें। 

ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का अभिषेक करने के बाद जलढ़री के जल को घर लाकर 'ॐ नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च' मंत्र का उच्चारण करते हुए इसका छिड़काव घर में करने से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और घर में खुशहाली आती है।

शिवरात्रि के व्रत में क्या खाएं

यूं शिवरात्रि का व्रत निर्जला ही रखा जाता है। लेकिन अगर आप ऐसा कर पाने में संभव नहीं है तो आप जूस का सेवन कर सकते हैं। इससे आपकी एनर्जी बनी रहेगी।

महाशिवरात्रि का पूजन मुहूर्त क्या है?

पहले पहर की पूजा -  1 मार्च 2022 को 6:21 pm से 9:27 pm तक

दूसरे पहर की पूजा -  1 मार्च को रात्रि 9:27 pm से 12:33 am तक

तीसरे पहर की पूजा - 2 मार्च को रात्रि 12:33 am से सुबह 3:39 am तक

चौथे पहर की पूजा -  2 मार्च 2022 को 3:39 am से 6:45 am तक

महाशिवरात्रि व्रत का पारण -  2 मार्च 2022, बुधवार को 6:45 am

महा शिवरात्रि की कथा क्या है? 

यूं तो शिवरात्रि के लिए कई कथाएं याद की जाती है और कई का वर्णन पूजा की किताबों में भी है। इसमें से दो सबसे आम और प्रचलित कथाएं हैं कि शिवरात्रि के दिन ही शिव-पार्वती की शादी हुई थी यानि इसी दिन भगवान शिव ने वैराग्य जीवन त्याग कर सांसारिक जीवन शुरू किया था। इसके अलावा इसी दिन भगवान शिव शिवलिंग के रूप में धरती पर अवतरित हुए थे।

इसके अलावा शिव चालीसा में एक और कहानी का वर्णन किया गया है जो कि काफी प्रचलित है। जिस कहानी के अनुसार एक शिकारी साहूकार के कर्ज तले दबा होता है। एक दिन साहूकार शिकारी को बंदी बना लेता है। लेकिन शिकारी के कर्ज चुका देने के वादे के कारण उसे रिहा कर देता है। 

इसके बाद शिकारी शिकार के लिए जंगल में प्रवेश करता है। इस दौरान उसे एक हिरणी नजर आती है, वो जैसे ही उसका शिकार करने वाला होता है कि हिरणी बोल पड़ती है कि मुझे जाने दो मैं अपने बच्चों को अपने पति के पास छोड़ने जा रही हूँ। एक बार छोड़कर मैं तुम्हारे पास वापस आऊँगी फिर तुम शिकार कर लेना। इस प्रकार बारी-बारी से तीन बार वो हिरण के परिवार को छोड़ देता है। इस बीच वो भूखे-प्यासे जाने-अनजाने में भगवान शिव की पूजा कर चुका होता है। वो दिन महा शिवरात्रि का होता है और अनजाने में वो पूरी विधि के साथ पूजा सम्पन्न कर चुका होता है। आखिर में जब उसे भगवान शिव की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

हमने इस कहानी को काफी संक्षिप्त रूप में सुनाया है। आप इसे शिव चालीसा में विस्तारपूर्वक पढ़ सकते हैं। हमारी तरफ से आपको महा शिवरात्रि की ढेरों शुभकामनाएं!

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